चित्रकूट (सतना), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि संस्कृत भाषा जानने को कुछ लोग पिछड़ापन का प्रतीक मानते हैं, ये मानसिकता हजारों साल से परास्त होती आई है और आगे भी कामयाब नहीं होगी।
मोदी मध्यप्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में तुलसी पीठ की ओर से आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तुलसी पीठ के प्रमुख स्वामी रामभद्राचार्य भी उपस्थित थे। समारोह में श्री मोदी ने स्वामी रामभद्राचार्य लिखित तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी रामभद्राचार्य का स्नेह उन्हें अभिभूत कर देता है। उन्होंने आशा जताई कि उनकी पुस्तकें भारत की महान परंपरा को और समृद्ध करेंगी।
इस दौरान मोदी ने संस्कृत भाषा के संदर्भ में कहा कि दुनिया में हजारों वर्षों में कितनी ही भाषाएं आईं और चलीं गईं, पर हमारी संस्कृत आज भी उतनी ही अटल है। संस्कृत समय के साथ परिष्कृत हुई, पर प्रदूषित नहीं हुई। इसका कारण संस्कृत का परिपक्व व्याकरण विज्ञान है, केवल 14 महेश्वर सूत्रों पर टिकी ये भाषा हजारों सालों से शस्त्र और शास्त्र दोनों विधाओं की जननी रही है। वेद की ऋचाएं भी इसी में हैं, धन्वंतरि और चरक ने आयुर्वेद का सार इसी भाषा में लिखा है। इसी भाषा में नाट्य और संगीत शास्त्र का उपहार मिला है, अंतरिक्ष विज्ञान और युद्ध कला के ग्रंथ भी इसी में लिखे हैं। उन्होंने कहा कि हम ध्यान से देखें, तो भारत के विकास के हर पक्ष में संस्कृत का योगदान मिलेगा। दुनिया के विश्वविद्यालयों में संस्कृत पर शोध होता है।