नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ताए-यूल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की।
डॉ जयशंकर सोल पहुंचने के बाद बुधवार को दक्षिण कोरिया और भारत के बीच 10वीं संयुक्त आयोग की बैठक में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण कोरिया के साथ महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर और हरित हाइड्रोजन जैसे नए क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करना चाहता है ताकि द्विपक्षीय संबंधों को और समकालीन बनाया जा सके।
विदेश मंत्री ने कहा, “दो देशों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने विचारों में बढ़ती समानता देखी।” उन्होंने कहा, “भारत-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छा मसला है और इस क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि बनाएं रखना दोनों देशों का कर्तव्य है।”
उन्होंने अपने समकक्ष यूल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग बैठक (जेसीएम) की सह अध्यक्षता करने के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2015 में दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को विशेष रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया।
विदेश मंत्री ने कहा, “अब हम दोनों देशों के संबंध को और अधिक महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन आदि जैसे नए क्षेत्रों में विस्तार करने में बहुत रुचि लेंगे।”
डॉ जयशंकर ने इससे पहले सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में कहा, “बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढाने, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, व्यापार, आपसी आदान-प्रदान और सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा हुई। साथ ही त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने की बात भी कही गई।”
उन्होंने कहा, “भारत-प्रशांत क्षेत्र के विकास, क्षेत्र में चुनौतियों के प्रति आपसी सहमति और क्षेत्रीय हित और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। मैं जानता हूं कि हमारे बीच जबरदस्त सद्भावना है। हमारी चुनौती इसे व्यावहारिक परिणामों में तब्दील करना है।”
उल्लेखनीय है कि डॉ जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की अपनी चार दिवसीय यात्रा के पहले चरण में आज सोल में हैं।
विदेश मंत्री गुरुवार को जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा के साथ 16वें भारत-जापान विदेश मंत्री की रणनीतिक वार्ता में भाग लेंगे।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “दोनों मंत्रियों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने और स्वतंत्र, खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध भारत-प्रशांत के लिए सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद है।”
बयान में कहा गया है, “भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी पिछले दशक में रक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ ऊर्जा, हाई-स्पीड रेल, औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में और मजबूती आयी है।”